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Some special words that can be used while writing sad shayari शायरिया लिखने के लिए बेहतरीन शब्दों का भंडार


दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए शायरी लिखने के लिए बेहतर शब्द लेकर के है आप इन शायरियो को पढिये और इनमे जिन शब्दों का प्रयोग किया है उनके माध्यम से अपनी शायरिया बना सकते है , जिससे आपकी शायरिया बेहतर बन जाएगी और आप के अन्दर खुद ब खुद शब्द बनने लग जायेंगे जिनका प्रयोग आप एक दिन अपनी शायरियो में करेंगे दोस्तों शब्द तभी आयेंगे जब आप एसी शायरिया पड़ते रहेंगे , तो दोस्तों आप हमारे पोस्ट को पड़ते रहिये आप को बेहतर शायरिया मिलते रहेगी तो चलिए शुरू करते है अपनी आज की पोस्ट को 


अधूरे अल्फ़ाज़




 शेड शायरिया 

तू किसी और के लिए होगा “समंदर –ए इश्क़ 

हम तो तेरे साहिल से प्यासे गुजर जाते है

 

tu kisi or ke liye hoga samandar ye ishq 

ham to tere sahil se payase gujar jaate hai




 वो मेरा नहीं फिर भी मेरा है,

यह कैसी उम्मीद ने घेरा है मुझे |

 


wo mera nahi fir bhi mera hai ,

yah keshi ummed ne ghera hai mujhe  




बेबस हो जाती है धड़कन

जब तुम ख्यालो में मुस्कुराते हो,

कलम एहसास लिखती है

और तुम कागज में उतर जाते हो |


bebas ho jati hai dhadkan

jab tum khyalo me musurate ho 

kalam ehsas likhti hai

or tum kaagaj me utar jaate ho 




इश्क था इसलिए सिर्फ तुम से ही किया,

फरेब होता तो सबसे किया होता |


ishq tha isliye sirf tum se hi kiya,

fareb hota to sabse kiya hota




हज़ार गम मेरी फितरत नहीं बदल सकते,

क्या करू मुझे आदत मुस्कुराने की है |


haazar gam meri fitarat nahi badal sakte 

kaya karu mujhe aadat muskurane ki hai  




जिस शख्स की गलती गलती  ना लगे,

किताब ये इश्क में इसे महबूब कहते है |


jis shaksh ki galti galti na lage 

kitab ye ishq me is mahbub kahte hai  




कैसा ये प्यार है तेरा तूने छुवा भी नही,

और महसूस रूह तक हुवा |


ye kesa pyar hai tune chhuwa bhi nahi

or mahsus ruh tak huwa  




ये कैसी ख्वाहिस है की मिटती ही नहीं ,

जी भर के तुझे देख लिया फिर भी नज़र हटती नहीं|


ye keshi khwahis hai ki mitti hi nhi 

ji bhar ke tujhe dekh liya fir bhi nazar hatti nahi  

 


 

इश्क की किताब का उसूल है जनाब,

मुड़ कर देखोगे तो मोहब्बत मानी जाएगी |


ishq ki kitab ka usul hai janab

mud kar dekhoge to mohabbat maani jayegi  




सोचते थे मिलेगा सुकून – ये – दिल उनसे मिलकर,

पर दर्द और बड जाता है उन्हे देखने के बाद |


sochte the milega sukun ye dil unse milkar

par dard or bad jata hai unhe dekhne ke baad 




मुद्दतो बाद आज फिर परेशान हुवा है दिल

न जाने किस हाल में होगा मुझे भूल जाने वाला 


mudadto baad aaj fir pareshan huwa hai dil,

na jane kis haal me hoga mujhe bhul jane wala  .



छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नये ख्वाब बनकर,

ये दुनिया तो खामखा कहती है की तुम मेरे करीब नहीं |




हमारी शायरियो के जादू से आप कहा वाकिफ हो,

हम उन्हें भी मोहब्बत सिखा देते है

जिन्हें  इश्क का शोक भी नहीं  हो |




मैं विरह की वेदना लिखूं या मिलन की झंकार

तू ही बता केसे लिखू थोड़े शब्दों में बहुत सारा प्यार

main virah ki vedana likhu ya milan ki jhankaar 

tu hi bata kese likhu thode shabdo me bahut sara pyar 




रूठने का हक़ है तुझे, वजह बताया कर 

खफा होना गलत नहीं तू खता बताया कर |

ruthane ka hak hai tujhe vajah bataya kar

khafa hona galat nahi tu khata bataya kar 




तुमने समझा ही नहीं और ना समझाना चाहा 

हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे सिवा” |

tumne samjha   hi nahi or na samajhana chacha 

ham chahte hi kaya the tumse tumhare siva 




जहा रिश्ते निभाने हो वहा आजमाया नहीं करते 

jha rishte nibhane ho waha aajmaya nahi karte 




मलाल, रंज, दर्द, संग, खार, कम क्यों नही होते,

मेरे फ़साने के कुछ किरदार, कम क्यों नहीं होते |

malaal, ranj, dard, sang, khar, kam kyu nahi hote

mere fasane kekuch kirdar , kam kyu nahi hote 




बेवक्त, बेवजह, बेसबर, सी बेरुखी तेरी ,

 फिर भी बेइंतिहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी |


bewakt, bewajh, besabar, si berukhuri teri,

fir bhi beintiha tujhe chahne ki bebasi meri




मिलावट है तेरे इश्क में इतर  और शराब की,

कभी हम महक जाते है कभी हम बहक जाते है 

milawat hai tere ishq me itar or shrab ki,

kabhi hm mahaj jate hai kabhii hm bahk jate hai.




सफ़ेद झूठ बोलती थे वो अपने लाल लाल होठो से,

Safed jhud bolti the wo apne laal laal hothon se 




कुछ इस अदा से तोड़े है तालुक्क उसने 

की एक मुद्दत से ढूंढ रहा हूँ कसूर अपना


kuch is ada se tode hai talukk usne,

ki ek muddat se dhund raha hun kasur apna 



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