Ticker

6/recent/ticker-posts

Advertisment header

पिता ही हरकतों की बजह से बेटे ने छोड़ा घर || पिता पुत्र की कहानी

 पिता पुत्र की कहानी 

पिता की हरकतों से तंग आकर बेटे ने छोड़ा घर



पिता पुत्र की कहानी







आनंद एक कॉलेज में छात्र था, उसने एक डीलर के शोरूम में एक सुंदर स्पोर्ट्स कार देखी थी और वो लंबे समय से अपने लिए एक ऐसी ही कार चाहता था.आनंद जानता था कि उसके माता-पिता इसे खरीदने के लिए सक्षम हैं इसीलिए उसने उन्हें बताया कि उसे ये कार अपने ग्रेजुएशन कंप्लीट होने पर गिफ्ट के रूप में दे.


देखते ही देखते वो दिन भी आ गया और पिता ने जेम्स को अपने निजी कार्यालय में बुलाया, उन्होंने उससे कहा कि मुझे तुम्हारे जैसे अच्छे बेटे पर बहुत गर्व है, उन्होंने उसे बताया कि वह उससे कितना प्यार करता है और उसे एक प्यारा रैपर से लिपटा हुआ उपहार दिया, आनंद उस छोटे से गिफ्ट के डब्बे को देख निराशा महसूस करने लगा, लेकिन वह जानने के लिए उत्सुक था कि ऐसा क्या था उस बॉक्स में इसलिए उसने बॉक्स तुरंत खोला और उसमे एक लाल कपडे से लिपटी भगवद गीता देखी!



 आप इतने अमीर हैं और आप मुझे केवल एक गीता दे रहे हैं..काफी गुस्से से अपने पिता पर वो चिल्लाया और अपनी नाराज़गी और गुस्से के वश में आकर आंडबने न आव देखा ना ताव तुरंत घर छोड़ दिया!



 काफी साल बीत गए आनंद अब एक सफल व्यवसायी बन गया था वह अपने जीवन में खुश था उसकी शादी हो चुकी थी और उसके दो बच्चे थे, उनका परिवार एक सुंदर घर में रहता था, लेकिन उसके पिता के साथ टूटे रिश्तों के कारण उसकी आत्मा अभी भी आहत थी, आनंद अपने पिता का घर छोड़ने के बाद कभी उनसे नहीं मिला था।



 आनंद को उस दिन के बाद अपने पिता को ना मिलने का पछतावा हमेशा रहने वाला था क्योंकि एक दिन उस एक पत्र मिला जिसमें उसके पिता के निधन की खबर थी और साथ ही ये बताया गया था कि उन्होंने अपने जीवन भर की पूंजी वसीयतनामा के अनुसार अब आनंद के नाम कर गए थे! अपने पिता की सारी संपत्ति विरासत में मिली तब आनंद अपने पिता के घर पहुंचा और कुछ महत्वपूर्ण कागज की तलाश करने लगा और गलती से उसे वहीं भगवद गीता का उपहार लिपटा हुआ मिला जिसे देख उसे फिर उसी उदासी का अहसास हुआ



उस गीता को उसने अच्छे से देखा तो उसपर अपने पिता की हैंडराइटिंग में कुछ लिखा पाया ..


उस पर लिखा था



 " मैं खुदको बेचकर भी हर सपना पूरा करूँगा तेरा । बस तू सपने जरा बड़े देखना  


ये बोल रहा बाप नहीं जिंदगी का सबसे पहला दोस्त तेरा।"



ये कविता पढ़ी ही थी कि अचानक उस किताब से 


एक चाबी गिरी जिसके 


ऊपर लगे टैग पर उसके ग्रेजुएट होने की तारीख के साथ कांग्रेचुलेशन और i love you लिखा हुआ था! 



आनंद के सर के ऊपर से उसके पिता का साया तो पहले ही उठ चुका था


और आज उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती के बारे में जानकर उसके पैरो के नीचे से जमीन भी खिसक गई, इस दिन आनंद की आंखे और रूह दोनों पछतावे के आसू रोई.



कहानी वीडियो के माध्यम से 




 

Post a Comment

0 Comments