सच्ची चाहत बेवफा सनम
कविताये तो आपने बहुत पडी़ होंगी. दोस्ती, मोहब्बत, दर्द, धोखा, और भी बहुत दोस्तो आज मैं आपके लिए एक ऐसी ही कविता लेकर आई हूँ ,सच्ची चाहत बेवफा सनम,
दोस्तों इस कविता के माध्यम से प्रेमिका अपने उस प्रेम के बारे में बता रही है जिसने उसके प्यार को कभी समझा ही नहीं, उसे छलता ही गया,
उम्मीद है मुझे की आपको मेरी यह कविता अवश्य पसंद आयेगी ,तो चलिए अब हम अपनी कविता पर आते है।
मेरी चाहत को उसने पागलो का नाम दे दिया
कुछ पल की ये दोस्ती जाने क्या छूट गयी,
छिपा कर तो रखा था इसे जमाने से ,
फिर ना जाने क्या इसे किसी की नजर लग गई,
मेरी चाहत को उसने पागलो का नाम दे दिया,,
और जमाने की नजरों में खुद को सच्चा यार कह दिया ,
जब कभी करु भी तो काँल उसे ,
Blacklist में शामिल उसने मेरा फोन नंबर कर दिया,
मेरी सच्ची चाहत को उसने पागलो का नाम दे दिया ।
मुस्कराना तो बस उसकी एक आदत थी,
फिर ना जाने क्यों मैने उसे इतेफाक से प्यार समझ लिया ।
तो दोस्तो ये थी हमारी छोटी सी कविता , दोस्तों कैसी लगी आपको यह कविता अगर पसंद आये तो आप इसे अपने किसी खास को जरूर शेयर करियेगा ।
धन्यवाद
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Thank you