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हरेला पर्व 2020 , हरेला क्यों मनाया जाता है ,

दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे - 

2020  में हरेला पर्व 16 जुलाई 2020 को मनाया जाएगा 

■ हरेला क्यों मनाया जाता है?

■ हरेला कब मनाया जाता है?

■ हरेला बोने की विधि 

■ हरेला गीत 


 हरेला पर्व 2020, हरेला 2020
हरेला पर्व 2020 


★ हरेला कब मनाया जाता है - 



दोस्तो हरेला  हिंदुओ का त्योहार है,  जो उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में प्रतिवर्ष  मनाया जाता है । वैसे तो हरेला पर्व वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। 

चैत्र मास में - प्रथम दिन में बोया जाता है तथा नवमी को  काटा जाता है ।



श्रावण मास में  - दूसरी बार हरेला  सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ मास   में बोया जाता है और उसके बाद 10 दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है ।


आश्विन मास में - तीसरा हरेला आश्विन  मास में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है । 
हरेला क्यों मनाया जाता है , हरेला पर्व कब मनाया जाता है
हरेला पर्व  


दोस्तो वैसे तो कही कही लोग 3 बार हरेला पर्व मनाते है । परंतु कुमाऊँ में श्रावण मास के हरेले को ही श्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि  सावन का महीना संकर भगवान को बहुत पसंद है । जैसा कि हमे पता ही है उत्तराखंड को देवो की नगरी भी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि देवो की इस नगरी में 33 करोड़ देवी देवता  वास करते है ,  और पहाड़ों में ही भगवान  शंकर का वास होता है । इसलिए भी यहाँ सावन मास के हरेले को अत्यधिक महत्व दिया जाता है ।
परिवार की एकता का प्रतीक है हरेला 


★ हरेला बोने की विधि - 


सावन लगने से 9 दिन पहले आषाढ़  मास में हरेला बोया जाता है। इसके लिए किसी थालीनुमा बर्तन , या किसी टोकरी का प्रयोग किया जाता है । सबसे पहले गेहूँ , जौ, धान , गहत, भट्ट, उड़द, सरसों, आदि को तैयार  को इकट्ठा करके रख देते है , उसके बाद  बर्तन में  मिट्टी  डालकर उसमे गेहूँ, जौ , धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों, आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों को बोया जाता है, , उसके बाद 9 दिनों तक लगातार सुबह पात्र में  पानी छिड़का  जाता है । दसवें दिन इसे काटा जाता है । 4 से 6 इंच लंबे इन पौधों को हरेला कहा जाता है । घर के बड़े इन्हें सभी के सर में आशिर्वाद के तौर में रखते है । 


     और ऐसा भी माना जाता है कि अगर आपके घर का बंटवारा ना हुवा हो तो उस परिवार में घर का मुखिया ही हरेला बोता है , और सभी के लिए या तो भेजता है या उसके  आने तक उसके लिए रखता है । और इसे परिवार के एकता का भी प्रतीक माना जाता है । ये त्योहार सभी को एक करके रखता है । और इस त्योहार को अच्छी फसल का प्रतीक भी माना जाता है।  ऐसी धारणा है कि जितना अच्छा हरेला होता है, उतनी ही अच्छी फसल होती है । इस दिन सब लोग इश्वर से अच्छी फसल होने की प्रार्थना करते है। 


हरेला पूजते वक्त हमारे बड़े एक हरेले का गीत भी गाते है . 

हरेला गीत 


" जी रये, जागि रये,  तिष्टिये  पनपिये , 
दुब जस हरी जड़ हो, ब्यर  जस फइये, ।

हिमाल  में ह्यूं  छन तक , 

गंग ज्यू  में पांणि छन तक, 
यो दिन और  यो मास भेटनै रये , 

अगासाक चार उकाव , धरती चार चकाव है जये, 
स्याव कस बुद्धि हो, स्यू जस पराण हो।"



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Thank you