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पाठ्यक्रम क्या है ?|| what is curriculum || पाठ्यक्रम के प्रकार , विशेषत...


पाठ्यक्रम curriculum




पाठ्यक्रम की वीडियो you tube में देखे 👇 








★ पाठ्यक्रम के प्रकार★ पाठ्यक्रम क्या है  ? 
★पाठ्यक्रम की विशेषताएँ
★पाठ्यक्रम का महत्व


पाठ्यक्रम का अर्थ  - 

curriculum' शब्द का हिन्दी रूपान्तरण पाठ्यक्रम है। यह शब्द लैटिन के शब्द 'currer' शब्द से बना है। जिस का अर्थ है- ‘दौड़ का पथ’। अत: पाठ्यक्रम का शाब्दिक अर्थ है- ‘शिक्षा-सम्बन्धी दौड़ का वह मार्ग जिस पर दौड़ कर बालक अपने व्यक्तित्व विकास लक्ष्य को प्राप्त करता है।





पाठ्यक्रम को और अधिक स्पष्ट करते हुए कनिंधम कहते हैं- “पाठ्यक्रम कलाकार (शिक्षक) के हाथों में एक औजार (साधन) है जिससे वह अपनी वस्तु (छात्र) को अपने कक्षाकक्ष (विद्यालय) में अपने आदर्शों के अनुसार ढालता है।” बालक के व्यक्तित्व के विकास के लिए अध्यापक विद्यालय के पूर्ण शिक्षण-सत्र में एक निश्चित विषय सामग्री तथा अनुभवों को अपनी शिक्षण-प्रक्रिया के माध्यम से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता है। ये अधिगम-अनुभव ही किसी विषय-विशेष का पाठ्यक्रम बनाते हैं।




Defination of Curriculum


कनिंघम महोदय के अनुसार – ” कलाकार (शिक्षक) के हाथ में यह (पाठ्यक्रम) एक साधन है जिससे वह पदार्थ (शिक्षार्थी) को अपने आदर्श उद्देश्य के अनुसार अपने स्टूडियो (स्कूल) में ढाल सकें।”

2) हॉर्न महोदय के अनुसार – ” पाठ्यक्रम वह है जो बालको को पढ़ाया जाता है यह शांतिपूर्ण पढ़ने या सीखने से अधिक हैं। इससे उद्योग, व्यवसाय , ज्ञानोपार्जन, अभ्यास और क्रियाये सम्मिलित हैं।”


3) माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार – ” पाठ्यक्रम का अर्थ रूढ़िवादी ढंग से पढ़ाये जाने वाले बौध्दिक विषयों से नही हैं परंतु उसके अंदर वे सभी क्रिया आ जाती हैं जो बालकों को कक्षा के बाहर या अंदर प्राप्त होते हैं।”

4) मुनरो महोदय के अनुसार – ” पाठ्यक्रम में वे सब क्रियाये सम्मिलित हैं जिनका हम शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु विद्यालय में उपयोग करते हैं।”

5) पाल हीस्ट महोदय के अनुसार – ” उन सभी क्रियाओं का प्रारुप जिनके द्वारा शैक्षिक लक्ष्यों तथा उद्देश्यों को प्राप्त कर लिंगे वह पाठ्यक्रम हैं।”




पाठ्यक्रम की विशेषता (Characteristics of Curriculum)


● पाठ्यक्रम परिवर्तनशील हैं। समाज की आवश्यकताओं को देखते हुए पाठ्यक्रम (Curriculum) में निरंतर बदलाव किए जाते हैं।
● शिक्षा के उद्देश्यों (Aims) के आधार पर ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता हैं।
● पाठ्यक्रम के द्वारा ही छात्रों के व्यक्तित्व का विकास किया जाता हैं।
● पाठ्यक्रम को क्रियान्वित रूप विद्यालय एवं शिक्षकों द्वारा दिया जाता हैं।
● पाठ्यक्रम द्वारा छात्रों के व्यवहार (Behaviour) में वांछित परिवर्तन लाया जाता हैं।
● पाठ्यक्रम के द्वारा छात्रों में समस्या-समाधान की प्रवति में वृद्धि की जाती हैं।
● पाठ्यक्रम (Curriculum) के द्वारा ही छात्रों में ज्ञानात्मक , भावात्मक एवं क्रियात्मक कुशलताओं का विकास किया जाता हैं।




पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया (Process for Curriculum Development)


★ पाठ्यक्रम का निर्माण छात्रों के ज्ञानात्मक , भावात्मक एवं क्रियात्मक (Cognitive, Affective, Application) पक्ष के विकास के आधार पर किया जाता हैं।
★ समाज की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता हैं।
★ पाठ्यक्रम के निर्माण से पहले उसकी रूपरेखा तैयार की जाती हैं।
★पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षण-विधि (Teaching-Method) का विकास करना।
★पाठ्यक्रम के निर्माण के बाद उसका मुल्यांकन (Evaluation) भी किया जाता हैं।
★पाठ्यक्रम के निर्माण विषय विशेषग्यो एवं बुद्धिजीवियों (Intellectuals) द्वारा किया जाता हैं।
★पाठ्यक्रम के निर्माण करते समय मनोवैज्ञानिक , सामाजिक एवं दार्शनिक आधारों को ध्यान में रखते हुए ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता हैं।
★पाठ्यक्रम के उद्देश्य एवं उचित उद्देश्यों का चयन करना जो छात्रों के बौद्धिक विकास में लाभदायक हो।




पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Objectives of Curriculum)

■ पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों के ज्ञानात्मक , भावात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष का विकास करना हैं।
■ पाठ्यक्रम का उद्देश्यों छात्रो का नैतिक एवं चारित्रिक विकास करना हैं।
■ पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों के व्यक्तित्व का विकास करना हैं।
■ पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में सामाजिक उत्तरदायित्व एवं सामाजिक भावनाओं का विकास करना हैं।
■ पाठ्यक्रम के द्वारा छात्रों को जीविकोपार्जन योग्य बनाना हैं।
■ छात्रों के समझने के स्तर को आसान (Easy) बनाना।
■ छात्रों के व्यवहार में श्रेष्ठता (Best) लाना।




निष्कर्ष (Conclusion)


विद्यालय में सम्पन्न होने वाले समस्त कार्यो को हम पाठ्यक्रम कहते हैं। किसी भी पाठ्यक्रम की सफलता (Success) असफलता (Failure) विद्यालय और शिक्षक एवं पाठ्यक्रम निर्माताओं के ऊपर होती हैं। पाठ्यक्रम बालकेंद्रित (Child Centerd) होना चाहिए और पाठ्यक्रम का निर्माण सदैव समाज की आवश्यकताओ को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। पाठ्यक्रम सदैव लचीला होना चाहिए जिससे उसमे आसानी से संशोधन किया जा सके। वह छात्रों के लिए हितकारी होना चाहिये।

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3 Comments


  1. तुम हो दिल में तुम्हारी तस्वीर है,
    , Play Bazaar

    दिल तो क्या जान भी हाजिर है।

    , Satta Bazaar

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  2. हम पर मत किया करो इतना शक,
    Play Bazaar

    मैं हूँ सिर्फ आपका ही है मुझ पर हक।
    Satta Bazaar

    ReplyDelete
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