मेरे अल्फ़ाज़ मेरे लफ्ज़ मुझसे कुछ कहते हैLove poem
दोस्तों आज की इस कविता में एक मासूका अपने महबूब से अपने प्यार का इज़हार कर रही है।वह अपने महबूब को ये एहसास करा रही है ,कि वो उसके लिए कितने खाश है।।
दोस्तो प्यार होने के बाद हमारी ज़िमेदारी वही पर खत्म नही हो जाती बल्कि उस प्यार को जन्मों -जन्मोंं तक निभाना ये हमारे लिए बहुत एहम है।
प्यार तो किसी को भी हो जाता है पर उसको निभाना सबसे ज्यादा मुश्किल
तो देखेते है वो अपने महबूब को कविता के माध्यम से कैसे अपने प्यार को बयां करती है।
मोहब्बत अगर सच्ची हो तो यकीनन वो मिल ही. जाती है। |
मेरे🙎 अल्फ़ाज़ मेरे लफ्ज़ मुझसे👈 कुछ कहते है।
जब तेरा ये मासूम सा चेहरा हम देखा करते है🤴
मर मिट जाते है तेरी एक मुस्कुराहट पर ओर फिर हर जगह तेरे होने का खवाब हम देखा करते है
जान ये बहार, जान ये तमन्ना ,जान ये ज़िगर हो तुम मेरे
बस ये ही बात हर बार आपसे दिल से किया करते है।,,,
तो दोस्तो कैसी लगी ये कबिता आपको यकीनन बहुत पसंद आई होगीं। दोस्तों इस कविता से आप अपनी girlfriend/ boyfriend. को भी रिझा सकते हो,
दोस्तों अगर आपकों ऐसी कविताओं को पड़ना अच्छा लगता है तो आप मेरे इस website पर आसानी से पढ़ सकते हैं।
धन्यवाद
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Thank you