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कोरोना और प्रकर्ति के कहर पर शायरी || corona or prakriti k kahar par shayari

शायरी कोरोना और प्रकर्ति 










आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए कोरोना और  प्रकर्ति के कहर पर बेस्ट शायरी लेकर के आये है , दोस्तों जैसा  की आपको पता है कोरोना महामारी अभी तक खत्म नहीं हुए है , इस महामारी ने भले  ही  इंसानों से बहुत कुछ छीन लिया,लेकिन इन्सान को बहुत कुछ सिखाया भी है |  दोस्तों अपना और अपने अपनों का  ध्यान रखिये और पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर जरुर कीजियेगा 



कोरोना और प्रकर्ति का कहर  




जीवो पर दया करो और प्रकर्ति से प्यार 
वरना हर कोई होगा कोरोना वायरस का शिकार 










बड़े दावे हो रहे थे 
मानव सभ्यता के उत्कर्ष पर पहुचने के 
प्रक्रति ने एक परिक्षण क्या किया सब चरमरा के बह गये |






दुनिया खत्म होती दिख रही है,
हमारे वक्त में हवा भी बिक रही है|




 

प्रक्रति ने भी क्या गजब नजारा  दिखाया है ,
पशु पक्षी आजाद है और इन्शान पिंजरे में कैद  है |




तेरे इश्क में कोरोना हो जाऊ,
जो भी तुझे परेशांन करे में उसी को हो  जाऊ |










 वो कौन था जो हाथ मिला  कर निकल गया,
बरपा हिसार - ए - जिस्म में कोहराम  क्यों हुवा |










कुदरत का कहर था या फिर बनावट एसी थी,
तारीफ आँखों  तक ठीक नहीं वो पूरी कयामत जैसी थी |





















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2 Comments

Thank you